Last modified on 20 जनवरी 2011, at 23:19

हिमालय ने पुकारा / गोपाल सिंह नेपाली

यह कविता अधूरी है। कृपया आपके पास हो तो इसे पूरा कर दें ।

शंकर की पुरी चीन ने सेना को उतारा
चालीस करोड़ों को हिमालय ने पुकारा
 
हो जाए पराधीन नहीं गंगा की धारा
गंगा के किनारों को शिवालय ने पुकारा

हम भाई समझते जिसे दुनिया में उलझ के
वह घेर रहा आज हमें बैरी समझ के
चोरी भी करे और करे बात गरज के

बर्फों मे पिघलने को चला लाल सितारा
चालीस करोड़ों को हिमालय ने पुकारा