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गए तुम भी / केदारनाथ अग्रवाल

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गए
तुम भी,
गए जैसे और-
सृजन के
सिरमौर।

शाम सोए,
रहे सोए;
नहीं
देखी भोर।

रचनाकाल: २३-०२-१९९०