Last modified on 2 फ़रवरी 2011, at 04:09

झूठ री ओट / ओम पुरोहित कागद

Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:09, 2 फ़रवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ओम पुरोहित कागद |संग्रह=आंख भर चितराम (मूल) / ओम प…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

सांच कठै
झूठ ई भंवै
चौगड़दै जगती में।

आत है!
कद सांच
है भी तो
कित्ती क ताळ
छेकड़ तो
झूठ री ओट में
लुकणो है सांच।