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धूळ री जाजम / ओम पुरोहित कागद
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नीं जाणै
किण दिस सूं
उतर्यो सरणाटो
पसरतो गयो
थिरकतै सै’र में
बतावै कुण
थेड़ में मून।
कुण नै किण
किण नै किण
कांई कैयो-बतायो
छेड़कली बार
जणां बिछै ही
काळीबंगां में
धूळ री जाजम।