भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
शारदीया / दिनेश कुमार शुक्ल
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:47, 10 फ़रवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दिनेश कुमार शुक्ल |संग्रह=ललमुनिया की दुनिया / द…)
ज़रा हीके
और फीके
रंग वाले
क्वाँर के ये फूल
तिल
तरोई
उरद
परबा-घास के
शरद की गंभीर
गंगा से अधिक गंभीर
फीके रंग
वाले फूल
फूले काँस कुस.......
दीप्ति से खंजन-नयन की
हो रहा है भासमान
आस्मान
हो रहा है शरद की गंगा...