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झड़ी बाँधकर / दिनेश कुमार शुक्ल

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निराकार को
जो साकार कर सके
ऐसी दृष्टि चाहिए

सबको दुःख दे कर ही
जिनको सुख मिलता है
तोड़ सके उनका तिलिस्म जो
तोड़ सके उनकी लाठी
तोड़ सके उनकी कद-काठी
ऐसा नया विचार चाहिए
हमें नया संसार चाहिए

छूछे शब्दों में
जो फिर से अर्थ भर सके
झड़ी बाँध कर होने वाली
जीवन-जल की
वृष्टि चाहिए...