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हँसी-ठिठोली / दिनेश कुमार शुक्ल
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ग़ैर की ज़ुबानी में
अटपटी कहानी में
जोकर में रानी में
बालू के पानी में
छप्पर में छानी में
रात आसमानी में
ज्ञानी अज्ञानी में
गूँगे की बानी में
बेमतलब बातों के
भीतर के मानी में
वक़्त की रवानी में
खो गयी निशानी में
आनी में-जानी में
इस दुनिया फ़ानी में
जो कुछ है जितना है
वो सब बस इतना है
इसमें क्या फ़ितना है ?
आमफ़हम बोली में
रंग में रॅंगोली में
अबकी फिर होली में
यही गीत गाना है
खोया सो पाना है
और कहाँ जाना है ?
रहना है यहीं यहीं सब कुछ रह जाना है
रामू की खोली में
बाबा की झोली में
दुलहिन की डोली में
अम्मा की बोली में
अपनों की टोली में
हॅंसी में ठिठोली में
सब कुछ रह जाना है।