भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सूरज चंदा जैसी जोड़ी हम दोनों / बशीर बद्र
Kavita Kosh से
Shrddha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:06, 16 फ़रवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बशीर बद्र |संग्रह=आस / बशीर बद्र }} {{KKCatGhazal}} <poem> सूरज …)
सूरज चंदा जैसी जोड़ी हम दोनों
दिन का राजा रात की रानी हम दोनों
जगमग जगमग दुनिया का मेला झूठा
सच्चा सोना सच्चा चांदी हम दोनों
इक दूजे से मिल कर पूरे होते हैं
आधी आधी एक कहानी हम दोनों
घर घर दुःख सुख का दीपक जले बुझे
हर दीपक में तेल और बाती हम दोनों
दुनिया की ये माया कंकर पत्थर है
आँसू शबनम हीरा मोती हम दोनों
चारों ओर समुन्दर बढ़ती चिंताएँ
लहर लहर लहराती कश्ती हम दोनों