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प्रार्थना(कविता का अंश ) / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल

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प्रार्थना(कविता का अंश )
मेरे पाप भुला दो करूणामय निज मन से,
आओ देखो दुख में डूबे हुये नयन ये
यदि न अभी भी यह उर सुन्दर स्वचछ हुआ हो,
ते दुख में ही रहने देना कुछ दिन मुझको।
ळो यदि स्वच्छ लगााना उर से और नयन से।
(मेध नंदिनी पृष्ठ 24 )