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हम बबूल हैं / शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान

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 हम बबूल हैं
हम बबूल हैं
पर अच्छे हैं
कठिन परिस्थिति में भी अपने
सीने तान खड़े रहते हैं
ऊसर बंजर में भी उगना
उगने पर हंस हंस कर बढना
है विशिष्ट गुणधर्म हमारा
वेद पुराण सभी कहते हैं
नख से शिख तक उपयोगी हैं
निर्विकार हैं हम योगी हैं
मौसम बेमौसम हो फिर भी
फूला और फला करते हैं
दृढ़ता में औरों से आगे
निर्धन की कथरी के तागे
पुरवा चले , चले पछुवाई
हिलें न पांव अडिग रहते हैं