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होठ फेर खुलैला / सांवर दइया

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च्यारूं कूंट पसरियोड़ी है आज
अटूट-अखूट मून
पण
थे आ ना समझ्या
कै लोग बोलणो भूलग्या है
ऐ होठ फेर खुलैला
   अर फेर सरू हुवैला
ठावी बंतळ !