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बरगद की झूलती जटाएँ / ठाकुरप्रसाद सिंह
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गाँव के किनारे
गाँव के किनारे है बरगद का पेड
बरगद की झूलती जटाएँ
कैसी रे झूलती जटाएँ
झूलें बस भूमि तक न आएँ ।
ऐसे ही लडके इस गाँव के
कहने को पास चले आएँ
बाँहें फैलाएँ
झुकते आएँ
मिलने के पहले पर
लौट-लौट जाएँ
बरगद की झूलती जटाएँ ।