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शायरी के नए दौर / जमील मज़हरी
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शायरी के नए दौर-5
रचनाकार | जमील मज़हरी |
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प्रकाशक | भारतीय ज्ञानपीठ, लोदी रोड, नई दिल्ली-110003 |
वर्ष | 1961 |
भाषा | हिन्दी-उर्दू |
विषय | उर्दू कवियों का संकलन |
विधा | |
पृष्ठ | 194 |
ISBN | 81-263-0020-5 |
विविध | यह चार उर्दू कवियों की रचनाओं और परिचय का संकलन है, जिसका सम्पादन अयोध्याप्रसाद गोयलीय ने किया है। इसमें जमील मज़हरी के अलावा रविश सिद्दक़ी, अफ़सर मेरठी और निहाल सेवहारवी की रचनाएँ संकलित हैं। |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- तोल अपने को तोल / जमील मज़हरी
- औरत / जमील मज़हरी
- दोशीजए-बंगाल / जमील मज़हरी
- भारत माता / जमील मज़हरी
- लोरी / जमील मज़हरी
- शाइर की तमन्ना / जमील मज़हरी
- नवाए जरस / जमील मज़हरी
- बादुलमश्रिक़ैन / जमील मज़हरी
- ताज़ियत / जमील मज़हरी
- मज़दूर की बाँसुरी / जमील मज़हरी
- जश्ने-आज़ादी / जमील मज़हरी
- नए अदब की ज़बान / जमील मज़हरी
- कहते हैं इसी को क्या मौहब्बत ? / जमील मज़हरी
- कहानी / जमील मज़हरी
- ऐतिराफ़ / जमील मज़हरी
- यह क्या हुआ तुमको / जमील मज़हरी
- इसे भूल जा, भुला दे / जमील मज़हरी
- सलाम-ए-माज़ी / जमील मज़हरी
- डरो, ख़ुदा से डरो / जमील मज़हरी
- है ख़ैरो-शरमें सुलह का इमकाँ अभी तलक / जमील मज़हरी
- सूखे हुए दरिया होते, उजड़ा हुआ इक सहरा होता / जमील मज़हरी
- सद चाक हुआ गो जामए-तन मज़बूरी थी सीना ही पड़ा / जमील मज़हरी
- मुतफ़र्रिक़ कलाम / जमील मज़हरी
- इस्तराकियत / जमील मज़हरी
- शाइर और ख़ुदा / जमील मज़हरी
- ताज़ियाने / जमील मज़हरी
- सदाए-शिकिस्त / जमील मज़हरी