Last modified on 6 मार्च 2011, at 07:05

ख्याल / मोहन आलोक

Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:05, 6 मार्च 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= मोहन आलोक |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} <Poem> यह जो हम दिन ब दिन…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

यह जो हम
दिन ब दिन
नीचे से नीचे की ओर
जा रहे हैं
इससे स्पष्ट है
कि कहीं ऊंचाई से आ रहे हैं ।
ये ऊंचाई
जो कि उजालों की ऊंचाई है ;
दरसल
हमारे ख्यालों की ऊंचाई है ।
और ये ख्याल
हमारे कवियों
साहित्यकारों के
खून पसीने की कमाई है ।


अनुवाद : नीरज दइया