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सरिता / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल
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जीवन सरिता
(प्रेम का मार्मिक चित्रण)
इसकी पलकेंा में चमक जगे
कितने शशि -तारे कांपने लगे
इसके अंगों में पवनों के
कितने मृदु चुम्बन प्रेम पगे
अधरों को इसके चूम चूम
भँवरों के पीछे घूम-घूम।
यह चली जा रही चपल चरण
हँस-हँस करती अस्थिर नर्तन
(प्रेम भावना कविता का अंश)