मैं ने यह कब कहा
मैं ने नहीं कही यह बात-
हम-तुम एक ।
लेकिन
तुम तक पहुंची जो बात
वह मेरी नहीं
फिर कैसे हो सकता है- अर्थ मेरा ?
जरूरत है इतना-सा जान लें
यह दुनिया है बाजार
और हवा के होते हैं रंग हजार !
अनुवाद : नीरज दइया
मैं ने यह कब कहा
मैं ने नहीं कही यह बात-
हम-तुम एक ।
लेकिन
तुम तक पहुंची जो बात
वह मेरी नहीं
फिर कैसे हो सकता है- अर्थ मेरा ?
जरूरत है इतना-सा जान लें
यह दुनिया है बाजार
और हवा के होते हैं रंग हजार !
अनुवाद : नीरज दइया