रचनाकार: जावेद अख़्तर
~*~*~*~*~*~*~*~~*~*~*~*~*~*~*~
तमन्ना फिर मचल जाए
अगर तुम मिलने आ जाओ।
यह मौसम ही बदल जाए
अगर तुम मिलने आ जाओ।
मुझे गम है कि मैने जिन्दगी में कुछ नहीं पाया
ये गम दिल से निकल जाए
अगर तुम मिलने आ जाओ।
नहीं मिलते हो मुझसे तुम तो सब हमदर्द हैं मेरे
ज़माना मुझसे जल जाए
अगर तुम मिलने आ जाओ।
ये दुनिया भर के झगड़े घर के किस्से काम की बातें
बला हर एक टल जाए
अगर तुम मिलने आ जाओ।