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नए बन रहे तानाशाह / नरेश चंद्रकर
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उन्हें पसंद नहीं होती प्रेरक-कथाएँ
उनके लिए असहनीय हो जाती हैं शौर्य-गाथाएँ
वे सुनना नहीं चाहते वीरता की बातें
लोरियों तक में
पढ़ना नहीं चाहते वे स्नेहपूर्ण पँक्तियाँ
क़ब्र पर लगे पत्थरों में भी
वे नहाना नहीं चाहते दूसरी बार
एक बार नहाई जा चुकी
नदियों के जल में
ऐसी उन्मत्त पसंदगियों पर चलकर
खड़ा होता है
वज़ूद एक दिन
नये बन रहे तानाशाहों का !!