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ग़रीबी की गंध-1 / इदरीस मौहम्मद तैयब

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भारत ग़रीबी से रौंदता है तुम्हारे दिल को
लेकिन तुम्हें अपनी अमीरी की अश्लीलता से
फुसलाने की कोशिश करते हुए
झिझकता है
क्योंकि ग़रीबी की गंध को छाना नहीं जा सकता
यह महलों के शयनागार में घुस जाती है
लेकिन हम इसे हमेशा दूर भगाते हैं
अपने घबराने वाले विचारों की तरह
और इस गंध को दूर भगाने में
हम, अगरबत्ती या फिर
अमीर मोटी औरतों की गंध की भी
मदद लेते हैं

अंग्रेज़ी से अनुवाद : इन्दु कान्त आंगिरस