Last modified on 14 मार्च 2011, at 13:50

दरवाजे खोल रहे बौने / शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान

Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:50, 14 मार्च 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान |संग्रह=उगे मणिद्वी…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

दरवाजे खोल रहे बौने
 
बन्दर के हाथों में
काँच के खिलौने
किस्मत के दरवाजे
खोल रहे बौने
कागज ने फैलाई
शतरंजी साजिश
बारूदी ढेरों पर
सुलगायी माचिस
सतरंगी सपने हैं
टाट की बिछौने
शहरों के जंगल का
निष्प्रभ है सूरज
सड़को पर घूम रहा
बौराया धीरज
मुखिया की चौखट के
आचरण घिनौने
मौसम के चेहरे पर
ठुकी हुयी कीलें
वासन्ती झोंको पर
मँडराती चीलें
व्याकुल हैं आँचल के
दुधमँुहे दिठौने
बन्दर के हाथों में
काँच के खिलौने