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आज मैंने अपना फिर सौदा किया / जावेद अख़्तर
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आज मैंने अपना
फिर सौदा किया
और फिर मैं दूर से देखा किया
जिन्देगी भर मेरे काम आए असूल
एक एक करके उन्हें बेचा किया
कुछ कमी अपनी वफ़ाओं में भी थी
तुम से क्या कहते कि तुमने क्या किया
हो गई थी दिल को कुछ उम्मीद सी
खैर तुमने जो किया अच्छा किया