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इक पल गमों का दरिया / जावेद अख़्तर

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इक पल गमों का दरिया, इक पल खुशी का दरिया

रूकता नहीं कभी भी, ये जिन्‍देगी का दरिया

आँखें थीं वो किसी की या ख्‍वाब के ज़ंजीरे

आवाज़ थी किसी की या रागिनी का दरिया

इस दिल की वादियों में अब खाक उड़ रही है

बहता यहीं था पहले इक आशिकी का दरिया

किरनों में हैं ये लहरें, या लहरों में हैं किरनें

दरिया की चाँदनी है, या चाँदनी का दरिया