Last modified on 19 मार्च 2011, at 03:08

जाने जाना मेरे चले आओ... / मदन मोहन दानिश

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:08, 19 मार्च 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मदन मोहन दानिश |संग्रह= }} {{KKCatNazm}} <poem> जाने जाना मेरे…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जाने जाना मेरे चले आओ...

बुझती सी आस है तुम बिन
सारा मंज़र उदास है तुम बिन
ज़िंदगी बदहवास है तुम बिन

जाने जाना मेरे चले आओ...

एक दुनिया को हारने के लिए
और दूजी सँवारने के लिए
मुझको मुझसे उबारने के लिए

जाने जाना मेरे चले आओ...

इससे पहले कि रुत बदल जाए
इससे पहले कि रात ढल जाए
इससे पहले कि दम निकल जाए

जाने जाना मेरे चले आओ...