Last modified on 20 मार्च 2011, at 00:21

तुमने क्या नहीं देखा / ठाकुरप्रसाद सिंह

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:21, 20 मार्च 2011 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

तुमने क्या नहीं देखा
आग-सी झलकती में

तुमने क्या नहीं देखा
बाढ़-सी उमड़ती में

नहीं, मुझे पहचाना
धूल भरी आँधी में

जानोगे तब जब
कुहरे-सी घिर जाऊँगी

मैं क्या हूँ मौसम
जो बार-बार आऊँगी !