नदिया का घना-घना कूल है
वंशी से बेधो मत प्यारे
यह मन तो बिंधा हुआ फूल है
नदिया का घना-घना कूल है
थिर है नदिया का जल जामुनी
तिरती रे छाया मनभावनी
याद नहीं आती क्या चांदनी!
पिछला जीवन क्या फिजूल है ?
नदिया का घना-घना कूल है
मैं आई जल भर हूँ आनने
या नहीं की सुख के दिन मांगने
जो जाता बीते फल थामने
करता वह बहुत बड़ी भूल है
नदिया का घना-घना कूल है