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पर्वत पर आग जला... / ठाकुरप्रसाद सिंह

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पर्वत पर आग जला बासन्ती रात में
नाच रहे हैं हम-तुम हाथ दिए हाथ में

धन मत दो, जन मत दो
ले लो सब ले लो
आओ रे लाज भरे
खेलो सब खेलो
होठों पर वंशी हो, हवा हँसे झर-झर
पास भरा पानी हो, हाथों में मादर

फिर बोलो क्या रखा
दुनिया की बात में ?
हाथ दिए हाथ में