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आत्मन् के गाए कुछ गीत (जानना) / प्रकाश
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आत्मन् अपनी छड़ी फेंक देता था
अस्त-व्यस्त कपड़ों को भूल
बेतरतीब नाचता था
भीड़ खड़ी पूछती थी-- हुआ क्या ?
आत्मन् कहता था-- देखो और जानो !