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आत्मन्‌ के गाए कुछ गीत (आना) / प्रकाश

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वह जीवित, मृत्यु नाम की जगह पर
बार-बार जाता था
और हर बार अपनी जगह पर
चुपचाप लौट आता था
उसके हाथ में एक खंजड़ी थी
वह गाता-बजाता जाता था
और वैसा ही वापस आता था

लेकिन आश्चर्य कि आत्मन्‌ कहता था
कि वह कभी कहीं गया ही नहीं !