सामने वाली खिड़की  पर 
चाय का कप लिए
एक स्त्री 
बारिश  देख रही है 
उसका नाम शगुफ़्ता ख़ान है  
बूँदों को 
घास-मिटटी पर पड़ते देख
वैसे ही हलचल से भर रही है 
शगुफ़्ता 
भर रही हूँ जैसेकि  मै
यानी  निर्मला गर्ग  
आडवानी जी व्याख्या करें
इस चमत्कार की 
                   
रचनाकाल : 1994