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मकान-1 / श्याम बिहारी श्यामल
अनिल जनविजय
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अचानक टूटा
तिलिस्म चकमक-चकमक
घिर गया मैं
खमखमाए खड़ी है
मेरे इर्द-गिर्द
दैत्यों की जमात
संगठित