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शरद चाँदनी / सुमित्रानंदन पंत
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शरद चाँदनी!
विहँस उठी मौन अतल
नीलिमा उदासिनी!
आकुल सौरभ समीर
छल छल चल सरसि नीर,
हृदय प्रणय से अधीर,
जीवन उन्मादिनी!
अश्रु सजल तारक दल,
अपलक दृग गिनते पल,
छेड़ रही प्राण विकल
विरह वेणु वादिनी!
जगीं कुसुम कलि थर् थर्
जगे रोम सिहर सिहर,
शशि असि सी प्रेयसि स्मृति
जगी हृदय ह्लादिनी!
शरद चाँदनी!