भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आग-2 / श्याम बिहारी श्यामल

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:21, 1 अप्रैल 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्याम बिहारी श्यामल |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> मत जलो ध…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मत जलो धू-धू कर
ठूँठ-बाँड़ जंगल में

कुछ कर सको तो
फटो गरज़कर धरती से
साथ लाना लावा
और पानी  !