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चाँद झुक गया है / केदारनाथ अग्रवाल

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चाँद झुक गया है खड़े खड़े
अधरात के बाद
किसी के इंतजार में
किसी के प्यार में
अकेला
फेंकता उजेला

रचनाकाल: २२-१०-१९६७