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गुट्टी की मृत्यु पर / केदारनाथ अग्रवाल

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जान का जुगनू
जिस्म में बुता गया
जिस्म को
खा गई
मसान की लपटें
निःशेष हो गई ‘गुट्टी’
दो बेटियों की माँ
उदास हूँ मैं
अँसुआई आँखों में
दिल का दर्द भरे

रचनाकाल: २८-०८-१९७६
गुट्टी के आज सबेरे मरने पर (अस्पताल में)