Last modified on 6 अप्रैल 2011, at 01:57

अपनी-सी मृत्यु के बाद / दिविक रमेश

Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:57, 6 अप्रैल 2011 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मेरे लिए अकस्मात था

हाथों का जुड़ना

और सिरों का झुकना भी ।


इतना ज़रूर था

कि यह सब तहेदिल से था

मैंने पहली बार ख़ुद को

महज़

इन्सानों के बीच पाया था ।