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नाक़ाबिल ए फ़रामोश / ज़िया फ़तेहाबादी

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दिल को दीवा बनाना याद है मस्तियाँ हर सू लुटाना याद है सहन ए गुलशन में बसद हुस्न ओ जमाल रोज़ ताज़ा गुल खिलाना याद है मुस्करा कर देखना मेरी तरफ़ देख कर फिर मुस्कराना याद है मुझ से रफ़्ता रफ़्ता वो खुलना तेरा नीची नज़रों को उठाना याद है

कर गए हैं दिल में घर कुछ इस तरह मैं वो बीते दिन भुला दूँ किस तरह