भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
एक चिड़ो एक चिड़ी देखो / सांवर दइया
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:24, 10 अप्रैल 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सांवर दइया |संग्रह=आ सदी मिजळी मरै / सांवर दइया }} […)
एक चिड़ो एक चिड़ी देखो
मन में हरख हर घड़ी देखो
मन हुवै मत्तै ई बेकाबू
रुत हुई जादू छड़ी देखो
शरद पून्यूं अर तूं सागै
लागी अमी री झड़ी देखो
आज तो थे मुळक बतळावो
रोवण नै उमर पड़ी देखो
आवो बांचो ढाई आखर
मन-पोथी खुली पड़ी देखो