Last modified on 14 अप्रैल 2011, at 19:39

लघु आलोचक / राधेश्याम तिवारी

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:39, 14 अप्रैल 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राधेश्याम तिवारी |संग्रह= }} {{KKCatNavgeet}} <Poem> धरती है आक…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

धरती
है आकाश पर
प्रेम टिका
विश्वास पर ।

जब से
चाँद हुआ है
ओझल
तब से
नज़र
पलास पर।

सबकी
आँखें
इधर-उधर
उनकी
टिकी गिलास पर ।

लघु
आलोचक
बरस रहा है
बाबा
तुलसीदास पर।