असीम सौन्दर्य की एक लहर,
नदी से नहीं--
समुद्र से नहीं
देखते ही देखते
उमड़ी तुम्हारे शरीर से,
छाप कर छा गई
फैल गई मुझ पर !
असीम सौन्दर्य की एक लहर,
नदी से नहीं--
समुद्र से नहीं
देखते ही देखते
उमड़ी तुम्हारे शरीर से,
छाप कर छा गई
फैल गई मुझ पर !