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हे मेरी तुम !.. / केदारनाथ अग्रवाल
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हे मेरी तुम !
बिना तुम्हारे--
जलता तो है
दीपक मेरा
लेकिन ऐसे
जैसे आँसू
की यमुना पर
छोटा-सा
खद्योत
टिमकता,
क्षण में जलता
क्षण में बुझता ।