भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अभियान गीत / नचिकेता
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:51, 21 जून 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नचिकेता }} Category:गीत हम मज़दूर-किसान चले, मेहनतकश इंसान ...)
हम मज़दूर-किसान चले, मेहनतकश इंसान चले
चीर अंधेरे को हम नया सवेरा लायेंगे !
ताकत नई बटोर क्रान्ति के बीज उगायेंगे !
कसने लगी शिरायें तनती गई हथेली की
खुली ग्रंथियाँ शोषण की गुमनाम पहेली की
सुलग उठे अरमान चले, हम बनकर तूफ़ान चले
हंसिये और हथौड़े का अब गीत सुनायेंगे !
लगे फैलने पंख आज फिर ग़र्म हवाओं के
सीना तान खड़ा है आगे समय दिशाओं के
डाल हाथ में हाथ चले, हम सब मिलकर साथ चले
रक्त भरे अक्षर से निज इतिहास रचायेंगे !
श्रम की तुला उठाकर उत्पादन हम बाँटेंगे
शोषण और दमन की जड़ गहरे जा काटेंगे
करते लाल सलाम चले, देते यह पैग़ाम चले
समता और समन्वय का संसार बसायेंगे !