भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ख़ुशआमदीद / गगन गिल
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:11, 16 अप्रैल 2011 का अवतरण
दोस्त के इंतज़ार में
उसने सारा शहर घूमा
शहर का सबसे सुंदर फूल देखा
शहर की सबसे शांत सड़क सोची
एक क़िताब को छुआ धीरे-धीरे
उसे देने के लिए
कोई भी चीज़ उसे
ख़ुशआमदीद कहने के लिए
काफ़ी न थी !
1986