Last modified on 17 अप्रैल 2011, at 01:56

बहरापन-2 / ऋषभ देव शर्मा

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:56, 17 अप्रैल 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ऋषभ देव शर्मा |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <Poem> सड़कों पर उतर आ…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

सड़कों पर
उतर आई है भीड़,
जनता
नक्कारे पीट रही है,
पूछता है कबीर-
बहरे हो गए क्या
ख़ुदा
           लोकतंत्र के !