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इस वृक्ष के पास / सुरेश सेन नि‍शांत

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चुपचाप गुज़रो
इस वृक्ष के पास से
प्रार्थना में रत है यहाँ एक औरत
उसे विश्वास है
इस वृक्ष में बसते हैं देवता
और वे सुन रहे हैं उसकी आवाज़ ।

एक औरत और ईश्वर
रत है बातचीत में
चुपचाप गुज़रो
इस वृक्ष के पास से
ऎसा कौतुक
एक औरत ही रच सकती है
जो ईश्वर को स्वर्ग से उतार कर
एक वृक्ष की आत्मा में बसा दे ।

चिड़ियों की चहचहाहट
हवाओं की सरसराहट
कुछ भी नहीं सुनाई दे रहा है उसे
सिवाय अपने ह्रदय की धड़कनों के
सिवाय अपनी प्रार्थना के ।

वृक्ष के हरे पत्ते
तालियों की तरह बजते हुए
दे रहे हैं उसे आश्वासन
कि उठो माँ
सुन ली है ईश्वर ने तुम्हारी प्रार्थना ।

मंदिर और मस्ज़िद से दूर
उनकी घंटियों और अजानों
से बहुत दूर
प्रार्थना में रत है एक औरत
चुपचाप गुज़रो
इस वृक्ष के पास से