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अच्छे भाग वाला मैं / सुरेश सेन नि‍शांत

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अच्छे भाग वाला हूँ मैं
इतना बारूद फटने के बाद भी
खिल रहे हैं फूल
चहचहा रही हैं चिड़ियाँ
बचा है धरती पर हरापन
सौंधी ख़ुशबू

अभी भी नुक्कड़ों पे
खेले जा रहे हैं ऐसे नाटक
कि उड़ जाती है तानाशाह की नींद

बचा है हौंसला
आतताइयों से लड़ने का
इतने खौफ़ के बावजूद भी
गूँगे नहीं हुए हैं लोग

बहुत भागवाला हूँ मैं
बाज़ारवाद के इस शोर में भी
कम नहीं हुआ है भरोसा दोस्त
कवियों का
जीवन पर से