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कहणि सुहैली रहणि दुहैली / गोरखनाथ

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1.
कहणि सुहैली रहणि दुहैली
          कहणि रहणि बिन थोथी ।
पठ्या गुण्या सूवा बिलाई षाया
          पंडित के हाथ रह गई पोथी ।

2.
कहणि सुहैली रहणि दुहैली
          बिन षाया गुड मीठा ।
खाई हींग कपूर बषानै
           गोरष कहे सब झूठा ।।