भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अवधू ईस्वर हमारे चेला भणीजै / गोरखनाथ

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:07, 18 अप्रैल 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गोरखनाथ |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} <poem> अवधू ईस्वर हमारे चे…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अवधू ईस्वर हमारे चेला भणीजै
             मछीन्द्र बोलीये नाती ।
निगुरी पिरथी परले जाती ताथै हम
             उलटी थापना थापी ।