Last modified on 18 अप्रैल 2011, at 14:08

जहाँ गोरष तहाँ ग्यान गरीबी / गोरखनाथ

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:08, 18 अप्रैल 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गोरखनाथ |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} <poem> जहाँ गोरष तहाँ ग्या…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जहाँ गोरष तहाँ ग्यान गरीबी
            दुँद बाद नहीं कोई ।
निस्प्रेही निरदावे षेले
            गोरष कहीये सोई ।।