भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कुंजबनमों गोपाल राधे / मीराबाई

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:11, 18 अप्रैल 2011 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कुंजबनमों गोपाल राधे॥ध्रु०॥
मोर मुकुट पीतांबर शोभे। नीरखत शाम तमाल॥१॥
ग्वालबाल रुचित चारु मंडला। वाजत बनसी रसाळ॥२॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरनपर मन चिरकाल॥३॥