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पिता के बाद माँ / ब्रज श्रीवास्तव
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पिता के बाद माँ
बदल सी गई है
सबके सामने नहीं करती वह
पिता को याद
अकेले में चुपके से पोंछती है आँख
पिता की तस्वीर पर रखकर हाथ
कुछ कहती है मन ही मन
भीड़ या बाज़ार में
जब जाती है बेटे के संग
तो नहीं छोड़ना चाहती अँगुली
मंदिर जाने पर उसे प्रसाद ज़रूर दिलाती है
हमें रोने नहीं देती कभी
समझाती है यह कहकर
ये तो होता ही है जीवन में
मुझे उस दोस्त का
यह कहना अच्छा लगा
कि तुम्हारे पास अभी
माँ तो है ।